रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाँहिं. उनते पहिले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं. हिन्दी अर्थ: किसी से याचना करने (माँगने) के साथ ही माँगने वाले व्यक्ति का (याचक) का स्वाभिमान समाप्त हो जाता है, जिससे वह म्रतप्राय (मरे समान) हो जाता है. लेकिन जो व्यक्ति मांगने पर भी किसी को देने से इन्कार करता है …