रहिमन असमय के परे, हित अनहित ह्वै जाय. बधिक बधै मृग बान सों, रूधिरै देत बताय. हिन्दी अनुवाद: जब समय ख़राब आता है, तब स्वयं के हित की बात भी हमारा ही अहित कर देती है. बुरे समय में अपने ही शत्रु बन जाते हैं, भलाई भी बुराई में बदल जाती है. शिकारी के तीर से घायल होकर हिरण जान …