दिब्य दीनता के रसहि, का जाने जग अंधु. भली बिचारी दीनता, दीनबंधु से बंधु. हिन्दी अर्थ: निर्धनता में कितना रस, कितना आनंद होता है, यह धन के लोभ में (अहंकार में) अंधे हुए लोग नहीं समझ सकते. मुझे अपनी निर्धनता बहुत प्यारी है, क्योंकि इससे मैंने अपने प्रभु को पा लिया है. अतः अब दौलत मेरे लिए निरर्थक है. …